क्या लिखूँ आज ?
कोई प्रेरक गीत,
या उदास दिल की कहानियाँ,
कोई मोहब्बत का राग,
या टूटे दिलों की ज़ुबानियाँ,
क्या लिखूँ आज ?
किसी माँ की ममता,
या बाप की फटकार,
किसी बहिन का लड़कपन,
या भाई की तकरार,
क्या लिखूँ आज ?
किसी मासूम का अल्हड़पन,
या समझाइश भरी सोच,
किसी दोस्त की नोंक-झोंक,
या उम्मीदों पर लगी खरोंच,
क्या लिखूँ आज ?
पड़ोसन की तीखी नज़रें,
या बिन मतलब की गपशप,
मोह में उलझा, फंसता मन,
या साधू का जप-तप,
क्या लिखूँ आज ?
मेरे मन की पीड़ा,
या दर्द का रिसता सागर,
पल-पल की बैचेनी,
या अश्रु झलकाती गागर,
क्या लिखूँ आज ?
न शब्द बचे हैं मन में,
न कोई छुपा सा राज,
थक चुकी कलम भी अब तो,
न कोई बजता साज,
फिर क्यूँ लिखूँ आज ?
बस और कुछ न लिखूँ आज… अंकिता !!