Facebook
Twitter
Google+
LinkedIn
Instagram
Skype
logo01logo02
  • Home
  • Stories On Air
    • Big FM Show – Yaadon Ka Idiot Box
    • Big FM Show – UP Ki Kahaniyan
  • Published Articles
  • Blogs
    • Stories
    • Articles
    • Poetry
  • Gallery
  • Books
  • Media Coverage
  • Book Reviews
    • Reviews In Digital Media
    • Reviews In Print Media

बचपन पर परिवर्तन की थपेड़

February 3, 2017Ankita JainArticlesNo Comments

बात तो सच है … परिवर्तन तो आया है .. सोच के, “रूप” में भी और “प्रारूप” (Format) में भी …. लेकिन यह परिवर्तन जिस दिशा में जाना चाहिए क्या उसी दिशा में जा रहा है या फिर अंधी दौड़ में रास्ता भूलकर अपने लिए ही मुश्किलें बना रहा है … यह निर्णय लेने वाले हम तो कोई नहीं लेकिन अगर हम भी उसी रास्ते पर हैं तो एक विचार ज़रूरी है ….

कुछ दिन पहले एक 12 साल की बच्ची (सरकार के हिसाब से तो वह किशोर हो चुकी है लेकिन समाज के हिसाब से बच्ची ही है) जो कि अभी 7th क्लास में पढ़ती है, मेरे पास आई …. बोली …. दीदी मुझे मैथ्स के कुछ डाउट्स हैं आप मुझे 1 महिना मैथ्स पढ़ा सकती हो क्या … आपकी जो भी फीस हो ले लेना …!! मैंने हामी भर दी और बोला कि फीस की ज़रुरत नहीं डाउट्स पूछने आ जाया करना। पिछले दो साल से पड़ोसी होते हुए भी ये हमारी पहली बात-चीत थी ….. ना ही तो उसने कभी बात करने की कोशिश की ….. ना मैंने अपने कमरे से बाहर निकलकर झांकने की .. हाँ थोड़ा बहुत आते जाते मुस्कराहट का आदान प्रदान ज़रूर हुआ। फिर अगले दिन से वो शाम को आने लगी .. एक दिन बातों-बातों में बोली दीदी आप इतना बोरिंग कपड़े क्यूँ पहनते हो … आप लुक्स वाइज सांवले हो और अगर आप अपने ड्रेसिंग एंड स्टाइलिंग पर ध्यान दो तो ओसम लग सकते हो ….. मैंने मुस्कुराकर पूछा अच्छा … तुम्हें बड़ा आईडिया है लुक्स एंड स्टाइल का … अभी बच्ची हो पढ़ाई में मन लगाओ … ये उम्र नहीं तुम्हारी लुक्स के बारे में सोचने की …. वो बोली नहीं दी अगर हम अपने लुक्स पर ध्यान नहीं देंगे तो स्कूल का कोई लड़का हम पर ध्यान नहीं देगा …. मैंने उसे ध्यान से देखा वो आई तो पड़ोस में थी लेकिन उसे देखकर लग रहा था कि मेरे पास आने से पहले हर रोज़ वह खुद पर 20-25 मिनिट तो खर्च करती है इतना अच्छी तरह तैयार होकर आने में …..

उस दिन उसके जाने के बाद मुझे मेरा बचपन याद आ रहा था जब मैं 7th में पढ़ती थी …. लुक्स क्या होते हैं … स्टाइल क्या होती है …… उस वक़्त इन शब्दों के मायने भी पता नहीं थे … स्कूल में लड़कों से सिर्फ इतना मतलब होता था कि वो दादागिरी करते थे तो हम भी उनके साथ लड़कियों वाली दादागिरी करते थे … ना जाने कितने लड़के तो सिर्फ …. लड़की-लड़कों की दुश्मनी के चक्कर में बिना वज़ह पिटे होंगे … दोस्ती के नाम पर वो हमारी चोटी के रिबिन खींच देते थे और हम उनकी बेंच पर चीटियाँ छोड़ देते थे … तो कभी आलपिन उल्टा कर लगा देते थे … स्कूल से आने के बाद मम्मी एक फ्रोक निकालकर रख देती थीं घर में पहनने के लिए … और वही मुंह धोने के बाद तेल डालकर चोटी बना देती थीं … और फिर हम तैयार हो जाते थे पूरे मोहल्ल्ले में घूमकर धमाचौकड़ी मचाने के लिए … शाम तक कपड़े पूरे मट्टीपलीत हो जाते थे पेरों की हालत ऐसी की मम्मी देखकर बोलतीं थी “चूहों से सुसु करवाकर आई हो पेरों पर क्या ?” … और जब वो कहतीं ज़रा मुंह हाथ धोकर साफ़ सुथरी हो लो .. तो हम हाथों से सब झड़ा कर बोलते साफ़ ही तो हैं ….. हमें उस हालत में क्लास के लड़कों के सामने जाने में कोई शर्म नहीं आई क्योंकि मन में लुक्स और स्टाइल की जगह बचपन भरा था … खेलने और मस्ती करने की ललक थी … मोहल्ले के सबसे शैतान बच्चे होने का खिताब जीतने की चाहत थी … उस वक़्त हमारे लिए सिर्फ 2 ही बातें अहम् थीं … पढ़ाई और खेल … बाकि मम्मी अगर कपड़ों का कहतीं कि कपड़े बदल लो .. तो हमारा एक ही डायलाग होता “कौन सा हमारे ससुराल वाले आ रहे हैं हमें देखने” … और इसे बोलकर हम खूब हंसते क्योंकि उस वक़्त शादी हमारे लिए गुड्डे गुड़ियों से ज़्यादा और कुछ नहीं था …

लेकिन अब परिवर्तन आया है …. और नन्हा बचपन लुक्स और स्टाइल की खोज में ना जाने कहाँ खो गया है …… !!

गुमान में जो तुम इतना गुनगुना रहे हो,
पता भी है कौन सा सुर गा रहे हो,
नाक नीची करके ज़रा असलियत पहचानों,
देखना,
अगले कदम पर कहीं गड्ढे में ना जा रहे हो …… !!

– अंकिता जैन !!

Tags: Ankita Jain, अंकित जैन
Ankita Jain
Previous post धुंधलाता समाज का दर्पण Next post बाबा के घी, तेल और घासलेट

Related Articles

धुंधलाता समाज का दर्पण

February 3, 2017Ankita Jain

सजने-सँवरने में फिसड्डी

June 9, 2020Ankita Jain

एक मुलाक़ात – अंकिता जैन

February 3, 2017Ankita Jain

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

  • सजने-सँवरने में फिसड्डी
  • नए शहर में रूम हंटिंग
  • कोई लड़का है जो उसके पीछे पड़ा है, उसे घूरता है
  • मनुष्य अपनी समाप्ति की ओर
  • Corona And Immunity

Categories

  • Articles
  • Poems
  • Stories
  • Uncategorized

Tags

Ankita Ankita Jain branding business city coding corona Desi design Elephant environment eve teasing forest gallery girls Health image immunity issues Jain Life Love Love Engineering Memory music nature new photography Poem post format safety security social tiger video wordpress अंकित जैन अंकिता जैन अजनबी हमसफ़र आख़िरी 35 मिनिट आख़िरी गिफ्ट एक मुलाक़ात काव्य निर्मोही डायरी प्रायश्चित. Ankita Jain
HomeAbout MeBooksContact
© 2017 Ankita Jain (ankitajain.in) Designed by Dekho Bhopal Media & Communications