कई बार एक सवाल मन में कौंधता है कि असल ग्लेमर, सम्मान, तरक्की, नाम, लोगों की अटेंशन सिर्फ और सिर्फ “टीवी या परदे पर अदाकारी दिखा रहे लोगों को ही क्यों मिलती है ?” उन लोगों को क्यों नहीं जो सही मायनों में ज़िन्दगी में कुछ हासिल करके, अपने दम पर खड़े हुए हैं…. नहीं जानती कि इस सोच से कितने लोग इत्तेफ़ाक रखते होंगे, लेकिन इस बार रूबरू दुनिया के आगामी अंकों के लिए दीपा मलिक, लक्ष्मी और अलोक जैसे लोगों से मिली तो लगा कि क्यूँ हम या हमारी सोच इन्हें वह ओहदा नहीं देती जो ये डिज़र्व करते हैं ? जब दीपा मलिक का फ़ोटो शूट करने के लिए वो घर के बाहर लॉन वाले एरिया में आयीं तो मन में एक सवाल आया कि “आज अगर इनकी जगह, ऐश्वर्या राय या कोई भी फ़िल्मी हस्ती या क्रिकेट के जुड़े नामी लोगों में से कोई इस तरह अपने घर के बाहर आया होता तो क्या इतना ही शांत माहौल रहता ? भीड़ नहीं लगी होती ? फ़ोटो खींचने, ऑटोग्राफ लेने या दो मिनिट बात करने की होड़ नहीं लगी होती ?” लेकिन वहां तो ऐसा कुछ नहीं था, एक ऐसी स्त्री जिसने अपनी ज़िन्दगी में अपने शरीर का सबसे अहम् हिस्सा शून्य हो चुकने के बाद ख़ुद को फिर से खड़ा किया अपने दम पर, 50 से भी ज्यादा नेशनल अवार्ड्स जीते, 10 से भी ज्यादा इंटरनेशनल अवार्ड जीते, कई बार लिम्का बुक में अपना नाम दर्ज कराया, अर्जुन अवार्ड जीता, जिसे हरयाणा की एक खाप ने “पुरुष प्रधान सम्मान, “गदा”” भेंट करके उसके मजबूत हौसलों को सम्मानित किया, क्या हम उसे वही सम्मान दे रहे हैं ?? क्या सिर्फ इसलिए नहीं कि वह विश्व सुंदरी बनने की प्रतियोगिता में नहीं गयी ? क्या सिर्फ इसलिए नहीं कि वह बड़े परदे पर अदाकारी नहीं दिखाती ? या क्या सिर्फ इसलिए नहीं कि वह फिल्म जगत से नहीं ?
कभी सोचियेगा इन सवालों के जवाब और अपने मन को टटोलियेगा कि सेलेब्रिटी आप किसे और क्यूँ मानते हैं… क्या सिर्फ सुन्दरता और बड़ा पर्दा ही आपके मापदंड हैं ?